Diya Jethwani

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लेखनी प्रतियोगिता -17-Jun-2022

क्योंकि अंत में हम दोनों ही होंगे... 

तुम रूठोगी.. तो मैं मना लुंगा... 
तुम्हारी नाराजगी को भी हंसी मे बदल दूंगा.. 
तेरे हर नखरे भी सह लुंगा... 
क्योंकि अंत में हम दोनों ही होंगे...।

कभी बालों में मेरे तेल तुम लगा देना.. 
कभी मैं तेरी चोटी भी गूंथ लुंगा..। 
कभी यूंही पास तुम मेरे बैठ जाना.. 
कभी गोदी में मैं तुझे सुला दुंगा..। 
क्योंकि अंत में हम दोनों ही होंगे...। 

कभी मैं रोटी सेंक दूंगा... 
कभी तुम बस आराम से बैठी रहना..। 
कभी साथ मिलकर बना देंगे हम.. 
शाम के वो चाय और पकोड़े...। 
क्योंकि अंत में हम दोनों ही होंगे...।  

ना कल की चिंता होगी... 
ना आज कुछ खोने को होगा...। 
तुम और मैं.. बस उस पल में खोएं होंगे... 
क्योंकि अंत में हम दोनों ही होंगे...। 


हाथों में हाथ लिए... 
दूर बगीचों में टहलने निकलेंगे... 
कुछ तुम अपनी कह देना... 
कभी कभी मेरी भी सुन लेना.. 
क्योंकि अंत में हम दोनों ही होंगे...। 

ना समाज का डर 
ना परिवार की चिंता... 
कभी गले लगा लेना
कभी गले से लग जाना.. 
क्योंकि अंत में हम दोनों ही होंगे..। 

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13 Comments

Pallavi

18-Jun-2022 09:41 PM

Nicely written

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Seema Priyadarshini sahay

18-Jun-2022 06:02 PM

बेहतरीन👌👌

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Satvinder Singh

18-Jun-2022 08:57 AM

बहुत सुंदर प्रस्तुति दी है आपने माता पिता भाई बहन और सब रिश्ते अंत में सब छूट जाते हैं सिर्फ हमसफ़र ही रह जाते हैं अंत में एक साथ

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